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परम शिव का ही स्वरूप है शिवमहापुराण: स्वामी मणि महेश चैतन्य जी महाराज

भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) शहर के पुराना भीलवाड़ा मंे स्थित श्रीगोपाल द्वारा मंदिर परिसर मे श्रीचारभुजा महिला मण्डल, पुराना शहर भीलवाड़ा की ओर से आयोजित संगीतमय श्रीशिव महापुराण कथा केयुवाचार्य महंत स्वामी श्रीमणि महेश चैतन्य महाराज ने कहा कि हिंदू पौराणिक ग्रन्थों में शिवपुराण एक सुप्रसिद्ध पुराण हैं जिसमे भगवान् शिव के विभिन्न कल्याणकारी स्वरूपों, भगवान शिव की महिमा, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म और शिव उपासना का विस्तृत में वर्णन किया गया है।


भगवान् शिव की लीलाओं एवं कथाओं के अतिरिक्त इस पुराण में विभिन् प्रकार की पूजा पद्यतियों और ज्ञानप्रद शिक्षाओं का उल्लेख भी किया गया है। परम शिव का ही स्वरूप है शिव महापुराण। ‘शिवपुराण’ एक प्रमुख तथा सुप्रसिद्ध पुराण है, जिसमें परात्मपर परब्रह्म परमेश्वर के ‘शिव’ (कल्याणकारी) स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है। भगवान शिवमात्र पौराणिक देवता ही नहीं, अपितु वे पंचदेवों में प्रधान, अनादि सिद्ध परमेश्वर हैं एवं निगमागम आदि सभी शास्त्रों में महिमामण्डित महादेव हैं। इस दौरान महिलाओं श्रद्धालुओं की काफी संख्या दिखी। इस श्रद्धालू कथा के प्रसंग व भजन पर भक्ति में लीन होकर ताली बजाते हुए झूम रहे थे। कथा मे पंचमुखी दरबार के स्वामी लक्ष्मण दासजी महाराज का सानिध्य मिला। लक्ष्मण दासजी महाराज ने कहा की भगवान शिव के इस पुराण को सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है तथा इस जीवन में बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगों का उपभोग करके अन्त में शिवलोक को प्राप्त कर लेता है। यह शिवपुराण नामक ग्रन्थ चौबीस हजार श्लोकों से युक्त है। सात संहिताओं से युक्त यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्मा के समान विराजमान है और सबसे उत्कृष्ट गति प्रदान करने वाला है। वहीं स्वामी द्वारा 21 किलोग्राम महा घंटे का पूजन भी किया गया जो श्री चारभुजा महिला मण्डल द्वारा गोपाल द्वारा मंदिर में समर्पित किया जाएगा। आयोजन मे केदार जागेटिया, छीतर बाहेती, गोपाल जागेटिया, आदित्य मालीवाल का सहयोग प्राप्त हुआ।

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Chief Editor of voice of public rajasthan

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