निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों की महापंचायत छबड़ा में 11मार्च को

✍🏻आज़ाद शेरवानी
कोटा राजस्थान के बिजली विभाग में सभी निगमों में अलग अलग नामों से चुपके चुपके निजीकरण किया जा रहा है। जिसका गांधीवादी तरीके से उत्पादन निगम में विगत 140 दिनों से विरोध किया जा रहा है। बता दें कि जयपुर स्थित विद्युत मुख्यालय ‘विद्युत भवन’ पर बिजली कार्मिकों की संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा विद्युत क्षेत्र में विभिन्न नामों से किए जा रहे निजीकरण के विरोध में गत 20 दिसंबर 2024 को एक दिवसीय विशाल प्रदर्शन व सांकेतिक धरना दिया गया था।
जिस पर सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव महोदय ने लिखित में निगमवार बैठक कर वार्ता का आश्वासन दिया था किन्तु बिजली कार्मिकों के साथ छलावा करते हुए आज तक उनके साथ कोई वार्ता नहीं की गई। संघर्ष समिति के प्रदेश प्रवक्ता वीरेन्द्र कश्यप ने बताया कि बिजली का निजीकरण निरस्त करने के लिए संघर्ष समिति के प्रतिनिधि सता पक्ष व विपक्ष के राजनेता, जन प्रतिनिधियों, विधायक, सांसद तथा ऊर्जा मंत्री को अवगत करवा चुके हैं। लेकिन संवेदनहीन विद्युत प्रशासन द्वारा 140 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्मिकों को न तो वार्ता के लिए बुलाया जा रहा और न ही इनको विश्वास में लिया जा रहा है। राजस्थान सरकार भी निजीकरण पर चुप्पी साधे हुए है।संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक राकेश गुप्ता ने कहा कि विद्युत विभाग के कार्मिक अब निजीकरण के विरोध में आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। राजस्थान में बिजली कर्मचारी विशाल उग्र आंदोलन कर सकते हैं जिसका आगाज संघर्ष समिति के बैनर तले आगामी 11 मार्च 2025 को बिजली कार्मिकों के हितों व सेवा शर्तों के सुरक्षार्थ छबड़ा थर्मल में विशाल बिजली महापंचायत आयोजित कर किया जा रहा है गुप्ता ने बताया कि महापंचायत को ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दूबे संबोधित करेंगे महापंचायत में विद्युत वितरण, विद्युत प्रसारण, विद्युत उत्पादन के कार्मिक बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी एकता व शक्ति प्रदर्शन करेंगे