इटावा में निकली भव्य शिव बारात, आतिशबाजी व पुष्पवर्षा से हुआ भव्य स्वागत
बारातियों ने किया जमकर नृत्य

जितेंद्र कुमार नागर वरिष्ठ संवाददाता इटावा
इटावा में महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर राधे राधे महिला मंडल द्वारा 26 फरवरी बुधवार को रात्रि 8 बजे इटावा में भव्य शिव बारात निकाली गई, जिसमे दूल्हे के रूप में भोले शंकर की संजीव झांकी आकर्षण का केन्द्र रही, बारात में छोटे छोटे बालक भूत पिशाच के रूप में चल रहे थे।
राधे राधे महिला मंडल की कार्यकर्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया कि शिव बारात पूरे दल बल के साथ रात्रि 8 बजे श्री राधा कृष्ण भगवान मंदिर धाकड मोहल्ला से प्रारम्भ हुई जो रामलीला मैदान, मेन रोड, अम्बेडकर सर्किल, डाकघर, बी एस एन एल टॉवर होती हुई धाकड छात्रावास, कुशवाह समाज मंदिर होती हुई खाकी नगर स्थित शिव मंदिर इटावा पर पहुंची जहां पर भोले बाबा ने तोरण मारने की रस्म पूरी की। वहीं शिव बारात का भव्य स्वागत किया गया। शिव बारात में दो डीजे की धून पर सैकड़ों बाराती नृत्य करते हुए चल रहे थे, जगह जगह पर पुष्प वर्षा के साथ साथ आतिशबाजी द्वारा भव्य स्वागत किया गया। भगवान शिव व माता पार्वती की वरमाला का आयोजन कर विवाह संपन्न करवाया। बाद में महाआरती का भव्य आयोजन किया, तत्पश्चात उपस्थित बारातियों को प्रसाद वितरण किया गया। विवाह के दौरान महिलाओं ने खूब जमकर मंगल गीत गाये। शिव बारात में सैकड़ों महिला पुरुषों ने भाग लिया। सबसे खास बात यह रही कि पूरी शिव बारात का आयोजन महिलाओं द्वारा किया गया, जिसमे सभी व्यवस्थाओं की तैयारी भी महिलाओं के हाथों में रही।
अम्बेडकर सर्किल पर श्री हनुमंत जन जागरण सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने शिव बारात का गर्मजोशी से आतिशबाजी कर, पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान भारतीय किसान संघ, विश्व हिन्दू परिषद सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता ओ ने भाग लिया।
समापन पर बोलते हुए वरिष्ठ कार्यकर्ता इन्द्र कुमार नागर ने कहा कि महाशिवरात्रि का पर्व अलग-अलग रूपों में मनाए जाने की परंपरा रही है। कोई इसे भगवान शिव का प्रकटोत्सव कहता है, तो कई लोग इस दिन को भगवान शिव-पार्वती के विवाह प्रसंग से जोड़ते हैं। सबकी अपनी-अपनी भावनाएं हैं। शिव जी की बारात में सभी प्रकार के जीव-जंतु, भूत-प्रेत, नाग, योगी, सिद्ध और गण शामिल हुए थे। यह इस बात का प्रतीक है कि समाज में हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग, या समुदाय से हो, समान रूप से महत्वपूर्ण है। आज के समय में जब समाज में भेदभाव और असमानता की चुनौतियां हैं, यह हमें सिखाता है कि सभी को समान भाव से रहना चाहिए। शिव जी स्वयं कैलाश के वासी हैं, एक तपस्वी और साधारण रूप वाले देवता हैं, जबकि माता पार्वती एक राजा की पुत्री और राजकुमारी थीं। फिर भी उनके विवाह में भौतिक संपत्ति या सामाजिक स्थिति का कोई महत्व नहीं था। आज की उपभोक्तावादी दुनिया में, जहां विवाह और रिश्ते अक्सर धन और बाहरी दिखावे पर आधारित होते हैं, यह कथा हमें सच्चे प्रेम और मूल्यों के महत्व को समझाने का काम करती है। शिव बारात के दौरान पुलिस थाना इटावा का जाप्ता सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहा।