संस्कार अकेडमी और जवाहर पब्लिक स्कूल के 1100 से अधिक विधार्थियों ने एक साथ किया योग
देव संस्कृती विश्वविद्यालय उत्तराखंड की देव कन्याओं ने करवाए अनेक योगासन

बी एम राठौर
संवाददाता सांगोद
सांगोद 11 दिसंबर जे एल एन एजुकेशनल ग्रुप द्वारा संचालित संस्कार अकेडमी और जवाहर पब्लिक स्कूल में आज गायत्री परिवार सांगोद के तत्वाधान में योगा कार्यक्रम का आयोजन जोलपा रोड स्थित महाराव भीम सिंह स्टेडियम में किया गया जिसमें विद्यालय के 1100 से अधिक विधार्थियों और विद्यालय स्टाफ ने एक साथ योगासन किए।
संस्था कॉर्डिनेटर अमन मिर्ज़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि देव संस्कृती विश्वविद्यालय उत्तराखंड से आई देव कन्याओं ने विधार्थियों को अनेक योग क्रियाएं सिखाई तथा योग की उपयोगिता बताई।
अमन मिर्ज़ा ने बताया कि इस अवसर पर सर्व प्रथम विद्यालय प्रबंधन द्वारा देव कन्याओं ओर अतिथियों का स्वागत किया गया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए संस्था सचिव डॉ अशरफ बैग ने कहा कि योग मात्र कुछ क्रियाओं का नाम नहीं हे बल्कि योग तो एक जीवन दर्शन हे। दुनिया के प्रत्येक धर्म और समाज में विभिन्न रूपों में योग किया जाता हे। इस सृष्टि का हर प्राणी चाहे मनुष्य हो या पशु पक्षी सब प्रतिदिन किसी न किसी रूप में योग अवश्य करते हैं। योग का इतिहास उतना ही पुराना हे जितना इस मानव सभ्यता का इतिहास हे। योग का अर्थ हे जोड़ना और यह योग ही हे जो इस सृष्टि को जोड़े हुए हे। योग से शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं मानसिक स्वस्थ भी ठीक रहता हे और मन की शांति मिलती हे। चाहे कैसा भी रोग हो योग के द्वारा ठीक किया जासकता हे।
इस अवसर पर गायत्री परिवार के पदाधिकारी सत्य प्रकाश विजय, श्याम विजय, रमेश नायक, शंकर गोस्वामी और प्रद्युम्न सुवांलका भी उपस्थित रहे जिन्होंने विधार्थियों को संबोधित किया और योग की उपयोगिता के साथ साथ गायत्री परिवार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की भी विस्तार से जानकारी दी।
श्री प्रद्युम्न सुवांलका ने अपने उद्बोधन में कहा कि गायत्री परिवार देश ओर समाज में प्राचीन भारतीय मूल्यों और संस्कारों की पुनर्स्थापना का कार्य कर रहा हे जो विश्व शांति के लिए आवश्यक हे। देव संस्कृती विश्वविद्यालय उत्तराखंड से पधारी देव कन्याओं ने बताया कि यह विश्वविद्यालय विधार्थियों में पवित्र संस्कारों का स्थापन कर सुयोग्य एवं सभ्य नागरिकों का नव निर्माण कर रहा हे। इस विश्वविद्यालय में दूसरे विषयों का साथ ही योग अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाता हे। महर्षि पतंजलि के द्वारा योग की व्यवस्थित शुरुआत की गई थी जिसमें गुरु गोरखनाथ ने अनेक क्रियाओं ओर नए आसनों को जोड़कर इसे जीवन से संबद्ध किया।
अंत में विद्यालय प्रबंधन द्वारा अतिथियों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया।