सीसीए पेंशन नियम संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की मांग
पेंशनरों ने प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को सोफा ज्ञापन

जितेंद्र कुमार नागर
इटावा में राजस्थान पेंशनर समाज उपशाखा इटावा द्वारा अध्यक्ष रामप्रसाद परालिया के नेतृत्व में पेंशनर्स के हितों पर कुठाराघात से सम्बन्धित सीसीए पेंशन नियम संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की मांग को लेकर उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंचकर एसडीएम रामनिवास मेहता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व वित मंत्री भारत सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष हुकम चंद मीणा ने बताया कि भारत सरकार ने संसद की मंजूरी के लिए वित्त विधेयक पेश करते समय ‘भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों और सिद्धांतों की मान्यता” के लिए एक अध्याय शामिल किया है। इसके माध्यम से सरकार को पेंशनभोगियों के बीच अंतर स्थापित करने का अधिकार मिल गया है जो केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिशों पर लागू हो सकता है, और विशेष रूप से पेंशनभोगी की सेवानिवृत्ति की तारीख या केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिश के संचालन की तारीख के आधार पर अंतर किया जा सकता है।
उक्त विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार ने पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग के लाभ से वंचित करने व पेंशनरों को तिथि के आधार पर वर्गों में बाँटकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया है साथ ही डी.एस. नकारा मामले में दिनांक 17/12/1982 के सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के ऐतिहासिक निर्णय को चुनौती दी है।
राजस्थान पेंशनर समाज, भारत देश में वर्ष 1972 से समान अधिकारों के साथ नियमित रूप से पेंशन प्राप्त करने वाले देश के करोड़ों पेंशनरों के हितों पर कुठाराघात करने वाले, इस वित्त विधेयक का पुरजोर विरोध करता है, क्योंकि 7वीं सीपीसी जिसे 01/01/2016 से पहले और 01/01/2016 के बाद सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों के बीच समानता बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा स्वीकार किया गया था, यह विधेयक इस प्रकार की समानता को खत्म कर देता है। इसके अलावा, जब से 8वीं सीपीसी की घोषणा की गई है, देश भर के पेंशनभोगी अपने पेंशन संशोधन और 01/01/2026 से पहले सेवानिवृत्त हुए पेंशनभोगियों और 01/01/2026 (8वीं सीपीसी की सिफारिशों की अपेक्षित तिथि) के बाद सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनभोगियों के बीच समानता बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं। वर्तमान निर्णय पेंशनभोगियों पर एक बड़ा झटका है और इसलिए सरकार को इस पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने की आवश्यकता है।
राजस्थान पेंशनर समाज के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर राजस्थान पेंशनर समाज की हमारी उप शाखा केंद्र इटावा सरकार के इस निर्णय का घोर विरोध करते हुए उन्हें इस विधेयक पर पुनर्विचार कर पेंशनरों के हित में निर्णय लेने का अनुरोध करती है।
आप को अवगत करवा दें कि यदि विधेयक में पेंशनरों पर कुठाराघात संबंधी बिंदु नहीं हटाए गए तो राजस्थान पेंशनर समाज को पूरे प्रदेश में आंदोलनात्मक रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ेगा। आज ज्ञापन के बाद आगे चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। उम्र के इस पड़ाव में पेंशनरों को सड़क पर उतरने और आमरण अनशन पर बैठने की जिम्मेदारी आपकी होगी।
इस दौरान अध्यक्ष रामप्रसाद परालिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हुकम चंद मीणा, मंत्री चंदू भटनागर, कोषाध्यक्ष शंभूदयाल गौतम, अशोक गौतम, कस्तूर चंद मीणा, ओम गौड, हसन अब्बास पठान, चन्द्र प्रकाश राठौर, शकूर मोहम्मद, मदन गोपाल शर्मा, बृजमोहन मीणा सहित कई पेंशनर समाज के कार्यकर्ता मौजूद रहे।