इटावा नगर में आरएसएस ने मनाया वर्ष प्रतिपदा उत्सव
सैकड़ों स्वयंसेवको ने पूर्ण गणवेश में लिया भाग

जितेंद्र कुमार नागर
इटावा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इटावा नगर द्वारा भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2082 उत्सव समारोह पूर्वक रविवार को प्रातः मास्टर वीरेन्द्र सिंह लोक कल्याण ट्रस्ट पर मनाया गया। संघ संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उन्हें याद किया गया। उत्सव में सभी स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहे। उत्सव के मुख्य वक्ता ग्राम विकास के प्रांत सह संयोजक महेन्द्र शर्मा रहे वही मंच पर जिला संघचालक गोपाल मीणा उपस्थित रहे। इस अवसर पर नगर के सैकड़ों स्वयंसेवक ने नगरवासियों को विक्रम संवत हिन्दू नववर्ष की शुभकामनाएं दी। साथ ही उत्सव बाद स्वयंसेवकों ने एक दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता ग्राम विकास प्रांत सह संयोजक महेन्द्र शर्मा ने बौद्धिक के दौरान स्वयंसेवकों को वर्ष प्रतिपदा उत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया आरएसएस का छह उत्सव में वर्ष प्रतिपदा पहला उत्सव है। जगतपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण इसी तिथि को प्रारंभ किया था। पुराणों में उल्लेख हे कि सृष्टि का चक्र प्रथम बार इसी दिन प्रवर्तित हुआ। भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक व धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक इसी तिथि को हुआ था। महाराज विक्रमादित्य के द्वारा विक्रम संवत इसी तिथि को शुरू किया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्म आज ही के तिथि को हुआ था। संत झूलेलाल जयंती इसी तिथि को मनायी जाती है। शक्ति और भक्ति के नौ दिवसीय नवरात्रा का पहला दिन होता हे। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का बड़ा ही महत्व है।
शर्मा ने आगे कहां की बसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से होता हे, जिससे प्रकृति एक नए उल्लास से भर जाती हे। चैत्र मास को वैदिक काल में “मधु मस” कहा गया है, जो आनन्द और समृद्धि का प्रतीक हे। यह समय खेतों में नई फसल कटने, प्रकृति के पुनर्जीवन और समृद्धि का संकेत देता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता हे, जिसे नवचक्र का आरंभ माना जाता हे। गंगौर पूजन का प्रारंभ इसी दिन से होता हे, जो भारत की सांस्कृतिक परम्पराओं का महत्वपूर्ण अंग हे।
उन्होंने स्वयंसेवकों को अनुशासन में रहते हुए समाज तथा राष्ट्र के लिए अपना योगदान देने को कहा। बताया कि संघ में संवाद तथा व्यक्ति के कार्य को महत्व दिया जाता है। स्वयंसेवक में मातृभूमि के लिए समर्पण होता है। जो राष्ट्र को परम वैभव पर ले जा सकता है।
वर्ष प्रतिपदा उत्सव के शुभारंभ से पहले अतिथियों द्वारा भारत माता की चित्र पर पूजन कर द्वीप प्रज्वलित किया ओर पुष्प अर्पण किए। उद्बोधन से पहले स्वयंसेवक द्वारा सुन्दर काव्य गीत बोला गया।